नई पद्धति |
वर्षो में संशोधन और नई पद्धति
पिछले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था में सुधार और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति के साथ तालमेल रखने के उद्देश्य से विभिन्न उपकरणों में कई तरह के संशोधन के साथ विभिन्न डिजाइन और निर्माण के तरीकों में बदलाव किया गया है जिसका विवरण नीचे सूचीबद्ध हैं:
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1. |
इनपुट एचटी बिजली की आपूर्ति:
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i. |
बिजली की खरीद पहले के दिनों में 25 केवी पर किया गया जैसे कि उत्तर रेलवे के इलाहाबाद मंडल में और मध्य रेलवे के भुसावल मण्डलमें । लेकिन बाद में बिजली की आपूर्ति 66/110/132/220 केवी की एचटी वोल्टेज पर लिया जा रहा है । |
ii. |
इससे पहले बिजली की आपूर्ति तीन चरण डबल सर्किट के माध्यम से ले जाया गया था। हालांकि,इस समय सामान्य रूप से डबल सर्किट टावरों पर 2 चरण सिंगल सर्किट एक लागत प्रभावी उपाय के रूप में बनाए जा रहे हैं। |
iii.
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इसी तरह राज्य बिजली बोर्डों का ग्रिड सबस्टेशन बे विस्तार के लिए सीबीएस, सीटीएस, इंसोलेटर के माध्यम से तीन फेस के उपकरणों से काम करता था जिसे रेल आवश्यकताओं के लिए दो फेस के उपकरणों में बदला गया । |
iv. |
यह व्यवस्था लागत कम करने के लिए जीएसएस से पारंपरिक कनेक्शन के स्थान पर टी आफ कनेक्शन की व्यवस्था करके
ट्रांसमिशन लाइन तथा स्विचिंग स्टेशन की लागत कम करने की व्यवस्था की गई है ।
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v. |
कुछ रेलवे में कम पावर फैक्टर पर दंड कम करने, अधिकतम मांग तथा विविधता कारण लाभ प्राप्त करने हेतु रा.वि.बोर्ड से एक प्वाइंट की आपूर्ति तथा टीएसएस की वितरण प्रणाली अपनाई गई ।
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vi. |
इसके अलावा टैरिफ कम करने तथा विश्वसनीयता में सुधार के लिए एनटीपीसी/पीसीसीआईएल द्वारा एक या दो केद्रीक;त स्थानों पर आपूर्ति तथा रेलवे के माध्यम से तीन फेस डबल सर्किट 132 के वी पारेषण लाइन की प्रणाली को अपनाया गया।
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2. |
सबस्टेशन (टीएसएस):
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i.
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उच्च क्षमता 21.6 एमवीए के लिए 8/10 / 12.5 एमवीए बिजली ट्रांसफार्मर का उन्नयन।
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ii. |
इसके अलावा उच्च क्षमता के ट्रांसफार्मर के विकास के साथ टीएसएस के बीच के अंतर को बढ़ाया गया, इसके परिणामस्वरूप
टीएसएस की संख्या में कमी आई और मेंटेनेन्स लागत में कमी के कारण पूंजी की बचत हुई।
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iii. |
पहले सभी टीएसएस में ट्रांसफार्मर की संख्या दो रखी गई थी । हालांकि टक्नोइकोनामिकल पर आधारित वर्तमान में सभी टीएसएस पर एक तथा दो ट्रासफार्मर रखे जाते है । यह तभी संभव हो पाया जब ट्रांसफार्मर की क्षमता 12.5 एम वी ए से 21.6 एम वी ए बढ़ाई गई ।
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iv. |
इसके अलावा एकल लाइन सेक्शन में एक मुक्त हुआ 12.5 एम वी ए तथा एक नया 21.6 एमवीए प्रदान किया गया ।
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v. |
टीएसएस नियंत्रण कक्ष के निर्माण के क्षेत्र में कमी।
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vi. |
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vii. |
एक छोटी माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित नियंत्रण और रिले पैनल (अनुपम पैनल)में विकास टीएसएस के बेहतर आपूर्ति में विश्वसनीयता के लिए।
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viii. |
जापानी रेलवे द्वारा अपनाए गए विकल्प पर आधारित तकनीकी का प्रयोग करके इंटीग्रेटेड फीडर प्रोटेक्शन मोड्यूल की स्वदेशी विकास ।
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ix. |
जापानी रेलवे द्वारा अपनाए गए विकास पर आधारित रूकावट संबंधी बड़े दोषों से सुरक्षा के लिए स्वदेशी रूप से डेल्टा-1
रिले का विकास करना ।
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x. |
पैण्टो फ्लैश ओवर रिले की डिजाइन और विकास ।
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xi.
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आयल सर्किट ब्रेकरों तथा इंट्रक्चरों के स्थान पर एस एफ-6 सर्किट ब्रेकरों/वैल्यूम ब्रेकरों एवं इंट्रप्टों का प्रयोग ।
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3.
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ओएचई प्रणाली
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i. |
वास्तविक लोडिंग पैरामीटर से आयतन की गणना पर कंप्यूटर आधारित डिजाइन के कारण फाउन्डेशन की लागत में कमी आई है । परम्परागत प्रणाली में अधिकतर डिजाइन आरडीएसओ के चार्ट पर आधारित होती है लेकिन संशोधित कंप्यूटर आधारित डिजाइन तकनीक के कारण अम्बाला परियोजना के लुधियाना-अमृतसर रेल विद्युतीकरण सेक्शन में लगभग 30 प्रतिशत फाउन्डेशन कम बनाने पड़े ।
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ii. |
कनेटरी तथा जंपर तारों के निर्माण के लिए तांबे के स्क्रैप का उपयोग करने के परिणामस्वरूप कंडक्टर्स |